
ना आता है इजहार करना..!
दिल ये नादान बरा है कर बैठा है प्यार।
अब ये परेशान बरा है।
कबूल करले वो दिल-ऐ-मोहब्बत हमारी।
हर ख्वाहिशों मे बस यही एक अरमान रहा है।
ना आता है इजहार करना..!
कौन कब चाह कर दूर होता हैं,
हर कोई हालात से मजबूर होता हैं,
हम तो बस इतना जानते हैं,
हर रिश्ता मोती और कोहिनूर होता हैं!!
ख्वाहिशे तो ना थी कि किसी से दिल लगाऊ..
पर मेरे किस्मत में तु थी तो तुझसे मोहब्बत कैसे ना होती..!!
मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं,
तेरी सूरत के सिवा कुछ याद नहीं,
में हूँ फूल तेरे गुलशन का,
तेरे सिवा मुझ पे किसी का हक़ नहीं..
जब से तुम्हें चाहा हैं..
किसी और को देखने का मन नहीं करता..!!
कोई ऐसा प्यार का बाज़ार होता,
जिस में नीलम वो सरेआम होता,
हम उसे खरीदते खुद को बैच कर,
फिर देखते कैसे वो किसी ओर क नाम होता !