Love Shayari

ओ सनम अब यूँ रूठकर न जाओ दूर हमसे,
कि अब आदत सी हो गई है तुम्हारी,
तुम जो न दिखो तो अब,
न सुबह होती न शाम होती हमारी…

मुझे रिश्तो की लम्बी कतारों से क्या मतलब...
कोई दिल से हो मेरा तो एक शख्स ही काफी है ।

कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे तुम्हारे सिवा

कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे तुम्हारे सिवा,

एक मौत ही है जिसका मैं वादा नही करता……

काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी ये दिल भी आवारा था
कहाँ आ गये हम इस समझदारी के दलदल में
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था..

अकेला नही हुँ मैं

अकेला नही हुँ मैं.......

अपने साथ हुँ ........

यूँ न मुझे उलझाया करो पहेलीयां करके ,
नर्म सुर्ख होंठो को शब्दों का जाम दिया कीजिए !