Love Shayari

वो चाहते हैं की मैं उनके लिए
उनकी मेज़ पे पड़ी, अपनी तस्वीर-सी हो जाऊँ,
वो करते रहें मुझ पे सौ सितम
अौर फिर भी मैं बस उन्हें मुस्कुराती नज़र आऊँ

- अजय दत्ता

मैनें सुना था, जो है तुम्हारा, वो गर जाए, तो
पास तुम्हारे, हर हाल में, लौट के ज़रूर आएगा,
बस इक इसी यकीं पे, आज तुम्हारे जाने पर
रुक जाने की, न मैं ज़िद्द, न ही इल्तिजा करूँगा

- अजय दत्ता

फ़र्ज़ था जो मेरा निभा दिया मैंने,
उसने माँगा जो वो सब दे दिया मैंने,
वो सुनके गैरों की बातें बेवफ़ा हो गयी,
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने

कम से कम इन चराग़ों से तो पूछ लूँ की
आज इनका दिल, जलने का है भी या नहीं,
क्या इक मैं काफ़ी नहीं जो न चाहते हुए
दिल ही दिल में जाने कब से जले जा रहा हूँ

- अजय दत्ता

मेरी इन साँसों के आने-जाने को भी
अब से तुम मेरा इज़हार-ए-इश़्क ही कहना,
मैं नहीं चाहता की अब एक पल भी
मेरी ज़िन्दगी का, फ़ुज़ूल, बे-मा'नी कहा जाए

- अजय दत्ता

मरहम चाहा तो दर्द साबित हुए

मरहम चाहा तो दर्द साबित हुए
इश्क़ में वो खुदगर्ज साबित हुए_