हर शाम हमने चिरागों से सजा रखी हैं

हर शाम हमने चिरागों से सजा रखी हैं...

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हर शाम हमने चिरागों से सजा रखी हैं,
अफ़सोस ये है की शर्त हवाओँ से लगा रखी हैं,
न जाने कि किस गली से आ जाए हमारा मेहमान,
हमने हर गली फूलों से सजा रखी हैं!

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चाहे मर्जी जितनी तुम रूठी रहो पर ये ना भूलना

चाहे मर्जी जितनी तुम रूठी रहो पर ये ना भूलना,
साथ एक साया तुम हरदम पाओगे,
मुड़के देखोगे तो तन्हाई होगी,
अगर महसूस करोगे तो हमे पाओगे……

दे सलामी इस तिरंगे को

दे सलामी इस तिरंगे को
जिससे तेरी शान है,
सर हमेशा ऊंचा रखना इसका
जब तक दिल मे जान है.

अगर तुम देखो आइना

अगर तुम देखो आइना,
तो अपने आप से नज़रें चुरा लेना,
के अक्सर बेवफा लोगों को,
जब वो आईना देखें,
आखें चोर लगती हैं…!

ख़्वाब सजाकर उसका इंतज़ार करता रहा मैं,
इसी तरह एक बेवफ़ा से प्यार करता रहा मैं..!!

सुना है तेरे शहर का मौसम बड़ा सुहाना हो रहा है,
अगर इजाजत हो तो एक शाम चुरानी है..!!

इश्क़ ही ख़ुदा है सुन के थी आरज़ू आई,
ख़ूब तुम ख़ुदा निकले वाक़िये बदल डाले।