हमने तो नफरतो से ही सुर्खिया बटोर ली जनाब

हमने तो नफरतो से ही सुर्खिया बटोर ली जनाब...

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हमने तो नफरतो से ही सुर्खिया बटोर ली जनाब
सोचो अगर मोहब्बत कर लेते तो क्या होता

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खवाहिसे तो आज भी चाहती है बगावत करना । मगर सिख लिया

खवाहिसे तो आज भी चाहती है बगावत करना ।
मगर सिख लिया है मैने।
हर बात को सिने मे दफ़न करना ।

मिलोगे हमसे तो कायल हो जाओगे..
दूर से देखने में हम जरा मगरूर दिखते हैं..

हमने तो नफरतो से ही सुर्खिया बटोर ली जनाब
सोचो अगर मोहब्बत कर लेते तो क्या होता

मेरी शराफत को तुम बुज़दिली का नाम न दो ,.,.,
दबे न जब तक घोडा ,बन्दूक भी खिलौना ही होती है ...

जब कभी टूटकर बिखरो तो बताना हमें,
हम तुम्हें रेत के जर्रो से भी चुन सकते हैं..

*याददाश्त का कमज़ोर होना बुरी बात नहीं है जनाब*

*बड़े बेचैन रहते है वो लोग जिन्हे हर बात याद रहती हैं....!!