वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत ना रही

वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत ना रही...

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वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत ना रही,
फिर यू हुआ के दर्द मे शिद्दत ना रही,
अपनी ज़िंदगी मे हो गये मसरूफ़ वो इतना,
की हमको याद करने की फ़ुरसत ना रही..

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रब किसी को किसी पर फ़िदा न करे

रब किसी को किसी पर फ़िदा न करे,
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ये माना की कोई मरता नहीं जुदाई में,
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जब से तेरी चाहत अपनी ज़िन्दगी बना ली है

जब से तेरी चाहत अपनी ज़िन्दगी बना ली है,
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करीब से देखने पर भी ज़िन्दगी

करीब से देखने पर भी ज़िन्दगी
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मालूम होता है अपने ही
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बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह

बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह,
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आशिक़ पागल हो जाते है प्यार में

आशिक़ पागल हो जाते है प्यार में,
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मगर ये दिलरुबा नहीं समजती,
गोलगप्पे खाती फिरती है बाजार में..!!

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