अब तो सजाएँ बन चुकी है गुज़रे हुए वक्त की यादे

अब तो सजाएँ बन चुकी है गुज़रे हुए वक्त की यादे...

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अब तो सजाएँ बन चुकी है गुज़रे हुए वक्त की यादे,
ना जाने क्यू मतलब के लिए मेहरबान होते है लोग..!!

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रब किसी को किसी पर फ़िदा न करे

रब किसी को किसी पर फ़िदा न करे,
करे तो क़यामत तक जुदा न करे,
ये माना की कोई मरता नहीं जुदाई में,
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में।

जब से तेरी चाहत अपनी ज़िन्दगी बना ली है

जब से तेरी चाहत अपनी ज़िन्दगी बना ली है,
हम ने उदास रहने की आदत बना ली है,
हर दिन हर रात गुजरती है तेरी याद में,
तेरी याद हमने अपनी इबादत बना ली है.

करीब से देखने पर भी ज़िन्दगी

करीब से देखने पर भी ज़िन्दगी
का मतलब समझ नही आया हमें,
मालूम होता है अपने ही
शहर में भूला हुआ मुसाफ़िर हूँ।

बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह

बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह,
हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं,
ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक,
कसम तुम्हारी तुम्हें इतना प्यार करते हैं।

आशिक़ पागल हो जाते है प्यार में

आशिक़ पागल हो जाते है प्यार में,
बाकी कसर पूरी हो जाती है इंतेज़ार में,
मगर ये दिलरुबा नहीं समजती,
गोलगप्पे खाती फिरती है बाजार में..!!

वक्त पे दिल खोल लिया होता यारो के साथ
तो आज खोलना ना पड़ता हॉस्पिटल में औजारो के साथ