Sher Shayari

डराकर दुनिया को वो जीता है

डराकर दुनिया को वो जीता है,
जिसकी हड्डियों में पानी होता है !!

आँधियाँ गम की चलेंगी तो सँवार जाऊँगा

आँधियाँ गम की चलेंगी तो सँवार जाऊँगा,
मैं तो दरिया हूँ समन्दर में उतर जाऊँगा,
मुझको सूली पे चढ़ाने की ज़रूरत क्या है,
मेरे हाथों से कलम छीन लो मर जाऊँगा..

Na dundna kabhi khud ko itna ke

Na dundna kabhi khud ko itna ke ....
Katil bhi ban jao or surag bhi na mile.

क्लास मे जब भी उनका ज़िक्र आता है

क्लास मे जब भी उनका ज़िक्र आता है,
आन्सर पेपर पर कलाम चलना शुरू हो जाता है,
लिख देते है दास्तान ए मोहब्बत,
पर कमबख्त वो टीचर तक पहुँच जाता है.

कोई सिसक उठता होगा

कोई सिसक उठता होगा,
किसी की आँख भर आती होगी
इतना तो यकीन है मेरी शायरी
दिल चीर के निकल जाती होगी..!!

चलने वाले पैरों में कितना फर्क है

चलने वाले पैरों में कितना फर्क है
एक आगे तो एक पीछे....
पर ना तो आगे वाले को "अभिमान" है
और ना ही पीछे वाले को "अपमान"
क्योंकि उन्हें पता होता है कि पलभर में ये बदलने वाला होता है
"इसी को जिंदगी कहते है"*