Dard Shayari

एक तेरी खातिर परेशाँ हूँ मैं

एक तेरी खातिर परेशाँ हूँ मैं
टूटे दिलों की जुबाँ हूँ मैं
तूने ठुकराया जिसको अपनाकर
उसी दीवाने का गुमां हूँ मैं

एक अजीब सा मंज़र नज़र आता है

एक अजीब सा मंज़र नज़र आता है
हर एक आँसू समंदर नज़र आता है
कहा रखूं मैं शीशे सा दिल अपना
हर किसी के हाथ मैं पत्थार नज़र आता है

दिल से रोए मगर होंठो से मुस्कुरा बैठे

दिल से रोए मगर होंठो से मुस्कुरा बैठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे,
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये ज़िंदगी लुटा बैठे

महफ़िल मैं हँसना मेरा मिज़ाज़ बन गया

महफ़िल मैं हँसना मेरा मिज़ाज़ बन गया,
तन्हाई मैं रोना एक राज़ बन गया,
दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर ना होने दिया,
यही मेरे जीने का अंदाज़ बन गया.

प्यार करके जतायें ये ज़रूरी तो ऩही

प्यार करके जतायें ये ज़रूरी तो ऩही
याद करके बतायें ये ज़रूरी तो ऩही
रोने वाला तो दिल में भी रो लेता है,
आँखों से आसु आए ये ज़रूरी तो ऩही

Aagoshesitam mein hi chupa le koi

Aagosh-e-sitam mein hi chupa le koi,
Tanha hu tadpne se bacha le koi,
Sukhi hain badi der se palko ki zuban,
Bas aaj to ji bhar ke rula le koi..