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तेरी शान में क्या नज़्म कहूँ अल्फाज नही मिलते

तेरी शान में क्या नज़्म कहूँ अल्फाज नही मिलते,
कुछ गुलाब ऐसे भी हैं जो हर शाख पे नही खिलते..!!

हम उम्मीदों की दुनिया बसते रहे

हम उम्मीदों की दुनिया बसते रहे
वो भी हर कदम पर हमे आजमाते रहे
जब मोहब्बत मे मारना पड़ा
हम मार गए वो बहाने बनाते रहे!

हर किसी के नसीब में कहा लिखी होती हे चाहतें

हर किसी के नसीब में कहा लिखी होती हे चाहतें,
कुछ लोग दुनिया में आते हे सिर्फ तन्हाइयों के लिए..!!

इश्क़ है या कुछ और ये तो पता नहीं ,
पर जो तुमसे है वो किसी और से नही..!!

जब से जुदा हुये है उनसे हम

जब से जुदा हुये है उनसे हम,
दिल ने हमारा धड़कना छोड़ दिया,
दीवाने कुछ ऐसे थे उनके प्यार में की,
उनके जाने के बाद होटों ने मुस्कुराना छोड़ दिया..!!

हमने कब माँगा है तुमसे वफाओं का सिलसिला,
बस दर्द देते रहा करो, मोहब्बत बढ़ती जायेगी।