Romantic Shayari

ओ सनम अब यूँ रूठकर न जाओ दूर हमसे

ओ सनम अब यूँ रूठकर न जाओ दूर हमसे,
कि अब आदत सी हो गई है तुम्हारी,
तुम जो न दिखो तो अब,
न सुबह होती न शाम होती हमारी…

इश्क़ का खेल बहुत ही अजीब हो गया है

इश्क़ का खेल बहुत ही अजीब हो गया है
इंसा दिल के बहुत करीब हो गया है
भर तो ली है झोली उन सब ने सिक्कों से
मगर, चाहत के मुकाबले बहुत गरीब हो गया है

जीने की उसने हमे नई अदा दी है

जीने की उसने हमे नई अदा दी है,
खुश रहने की उसने दुआ दी है,
ऐ खुदा उसको खुशियाँ तमाम देना,
जिसने अपने दिल मे हमें जगह दी है।

इस मोहोब्बत की उलझन को सुलझाऊँ कैसे

इस मोहोब्बत की उलझन को सुलझाऊँ कैसे
आँखों की प्यास बुझाऊ कैसे
बड़ा ज़िद्दी है ये कमबख्त दिल मेरा
इस दिल को मैं भला अब मनाऊ कैसे..!!

साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएंगे ज़रूर

साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएंगे ज़रूर,
प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे ज़रूर,
कितने भी काँटे क्यों ना हों राहों में,
आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएंगे ज़रूर।

हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर

हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर,
हम उसे अपनी खता कहते हैं,
वो तो साँसों में बसी है मेरे,
जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं।