Bachpan Shayari

काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था

काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी ये दिल भी आवारा था
कहाँ आ गये हम इस समझदारी के दलदल में
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था..